Saturday, December 18, 2010

उदासी सही नहीं जाती

ये चंद लाईने मैंने युहीं ऑफिस से आते वक्त लिख डाली..शुरुआत की है शायद आपको पसंद आये या न आये, कह तो नहीं सकती.

आ जाओ अब की तन्हाई सही नहीं जाती 
टूट कर फिर से चाहो मुझे 
की जुदाई अब सही नहीं जाती
सुना है तुम्हारी बातों से लोग खुश हो जाते हैं
ये बात है तो बात करो मुझसे भी
उदासी मुझसे अब सही नहीं जाती..

13 comments:

  1. झूठ-मूठ यह तो नहीं कहूँगा कि "बड़ी शानदार गज़ल लिख डाली" पर हाँ जो भी लिखा है मन से निकला है, सीधा है, इसलिए अच्छा लगा पढ्कर .. आगे भी लिखती रहिये... और हाँ बुरा मत मानियेगा... आप भी बिहार से हैं इसलिए कुछ ज्यादा इन्फोर्मल हो गया...

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  2. और हाँ ये कमेन्ट सेक्शन से 'वर्ड वेरिफिकेशन' का ओप्शन हटा दीजिए.. इससे कमेन्ट करने में परेशानी होती है...

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  3. शुक्रिया सतीश जी.
    कमेन्ट से वर्ड वेरिफिकेसन हटा दिया है मैंने.

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  4. मुझे तो बेहद अच्छी लगी। आपका यूहीं लिखा इतना खूबसूरत हैं तो संजीदा लिखा कितना बेहतरीन होगा, मैं कल्पना कर रहा हूं।
    डायरी में संजो कर रखने वाले शब्द हैं ये।

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  5. अच्छा लिखा है| आगे और भी उम्मीद है|शुभकामनाएं!

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  6. सुंदर शब्दों के साथ.... बहुत सुंदर अभिव्यक्ति....
    अत्यंत सुन्दर रचना ,,एक खूबसूरत अंत के साथ ....शब्दों के इस सुहाने सफ़र में आज से हम भी आपके साथ है ...शायद सफ़र कुछ आसान हो ,,,!!!! इस रचना के लिए बधाई आपको

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  7. धन्यवाद, मेरे ब्लॉग से जुड़ने के लिए और बहुमूल्य टिपण्णी देने के लिए

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  8. dobara keh rahe hai..Prerna ji..
    शब्दों के इस सुहाने सफ़र में आज से हम भी आपके साथ है

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  9. प्रेरणा जी,
    मेरे ब्लॉग पर आपकी दस्तक से आपकी ब्लॉगीय मौजूदगी का पता चला!सो हाज़िर हूँ यहाँ!

    आपकी उपर्युक्त पंक्तियों से आपकी भावुकता का संकेत मिल रहा है। मैं अपनी पत्रिकाओं में तमाम नविदितों के सृजन का साक्षी रहा हूँ... हर नवोदित कमोवेश कुछ यूँ ही शुरुआत करता है...आप ही की तरह।

    आप आगे बढ़िए...श्रेष्ठ साहित्य पढ़ती रहिए और लिखती भी रहिए...मेरी आदमक़द शुभकामनाएँ!

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  10. रवि जी
    मानस जी
    जीतेन्द्र जी
    संजय जी
    आप सब का बहुत बहुत शुक्रिया!

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  11. bihar ka naam sunte hi nostalgic feel karne lagta hoon..ab ghar to ghar hota hai...
    achhi shuruaat hai..likhte rahein....:)
    aapki rachnaon ka intzaar rahega...

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  12. कभी-कभी यूं ही बहुत अच्छा लिख जाता है...शायद यह भी उसी का नतीजा है।
    अच्छा लगा इसलिए ब्लॉग भी फॉलो कर रही हूं...

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