Saturday, December 18, 2010

उदासी सही नहीं जाती

ये चंद लाईने मैंने युहीं ऑफिस से आते वक्त लिख डाली..शुरुआत की है शायद आपको पसंद आये या न आये, कह तो नहीं सकती.

आ जाओ अब की तन्हाई सही नहीं जाती 
टूट कर फिर से चाहो मुझे 
की जुदाई अब सही नहीं जाती
सुना है तुम्हारी बातों से लोग खुश हो जाते हैं
ये बात है तो बात करो मुझसे भी
उदासी मुझसे अब सही नहीं जाती..

Thursday, December 16, 2010

खुशी के पल

खुशी के पल का ये पहला पोस्ट है.ब्लॉग से अनजान हूँ.लेकिन सुना बहुत है ब्लॉग के बारे में.सोचा मैंने की एक ब्लॉग मैं भी निकल के देखूं. लोग पढ़ते हैं या नहीं.वैसे Writer मुझमे कोई तो दूर दूर तक नहीं है लेकिन फिर भी कभी दिल आया तो कुछ लिख ही दूँ मैं भी.भले ही पढ़ा न जा पाए मेरा लिखा.

अपने सहकर्मियों को देखती हूँ ब्लॉग पढ़ते रहते हैं.ज्यादातर English ब्लॉग.मेरी आदत भी लग गयी थी ब्लॉग पढ़ने के.हिन्दी के ब्लॉग से मैं ज्यादा परिचित नहीं थी, हालांकि हिन्दी में मेरी रूचि हमेशा से ही रही है.मुंशी प्रेमचंद्र जिन्हें भारत का shakespere कहा जता है उनकी कहानियां मुझे काफी ज्यादा पसंद हैं.कमलेश्वर, अमृता प्रीतम और शिवानी की भी किताबें पसंद आती हैं.

ब्लॉग में लिखने के लिए मुझे सोचना पड़ेगा.क्या लिखूं अभी तो समझ में नहीं आ रहा. देखती हूँ अगर कुछ ख्याल दिमाग में आया तो ब्लॉग पे ले आउंगी उस ख्याल को.

धन्यवाद

प्रेरणा